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श्री कृष्ण बल्लभ सहाय बिहार के चौथे मुख्यमंत्री थे। उन्होंने बिहार के विकास में अपना अतुलनीय योगदान दिया है।

आज हम मिलने जा रहे हैं एक ऐसे राजनेता एवं कुशल प्रशासक से ,जिनके द्वारा अपने कार्यकाल में लिए गए फैसलों ने आधुनिक बिहार में कई उद्योगों की बुनियाद रखी ,वहीँ जमींदारी  समाप्त करने से सम्बद्ध विधेयक में अपने स्वयं के अतुलनीय योगदान से समाज में सामाजिक आर्थिक गैर बराबरी के खिलाफ बिगुल बजा दिया ,.

श्री कृष्ण बल्लभ सहाय बिहार के चौथे मुख्यमंत्री थे। उन्होंने बिहार के विकास में अपना अतुलनीय योगदान दिया है।


आजादी के बाद श्री सहाय, बिहार के राजस्व मंत्री बने और बाद में संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री बने। कृष्णा बल्लभ सहाय का जन्म 31 दिसंबर 1898 को हुआ था, ये श्री मुंशी गंगा प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र थे। श्री गंगा प्रसाद ब्रिटिश राज के समय दरोगा थे। श्री के.बी.सहाय 1919 में हजारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर में डिग्री हासिल की थी।


केबी सहाय ने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था, आगे की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर वह 1920 में स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। 1930 से 1934 के बीच विभिन्न समय के लिए वह चार बार जेल भी गए। ब्रिटिश राज के तहत जब प्रादेशिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी तब वह 1936 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे और 1937 में श्री कृष्ण सिंह के मंत्रालय में उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया इस दौरान जमींदारों के हाथों गरीबों के हो रहे शोषण ने सहाय के दिल में सहानुभूति जगा दी। स्वतंत्रता के बाद जब बिहार में अंतरिम सरकार का गठन किया गया तो केबी सहाय को राजस्व मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई क्योंकि उन्हें यह विषय बहुत पसंद था। राजस्व मंत्री बनने के बाद सहाय को किसानों को जमींदारों के चंगुल से छुड़ाने का मौका मिल गया। देश में जमींदारी प्रथा खत्म करने के लिए जो विधेयक पारित किया गया था, उसमें सहाय जी का भी अहम योगदान था। विधेयक पारित होने के बाद जमींदारों को धक्का लगा था और उन्होंने इसे कोर्ट में चुनौती भी दी थी।


के बी सहाय ने अपना पहला चुनाव 1952 में गिरिडीह से लड़ा था। यह चुनाव वह अच्छे अंतर से और श्री बाबू के कैबिनेट में उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया। हालांकि, 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें राजा कामाख्या नारायण सिंह के हाथों कार का सामना करना पड़ा। लेकिन, पांच साल बाद 1962 में हुए चुनावों में वह फिर से तीसरी बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। 02 अक्टूबर 1963 को महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर के बी सहाय ने बिहार के चौथे मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ली। 3 जून 1974 को चुनाव जीतने के बाद जब वह अपने पैतिृक जिले हजारीबाग जा रहे थे तो दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।   


बिहार में बड़े उद्योग लगाने का श्रेय भी के.बी सहाय को ही जाता है। बरौनी रिफाइनरी, बोकारो स्टील प्लांट जैसे उद्योग उन्हीं के मुख्यमंत्री काल में स्थापित किए गए थे। सीएम रहते हुए उन्होंने तिलैया में सैनिक स्कूल स्थापित करने में भी अहम योगदान दिया। हजारीबाग में महिला कॉलेज भी उन्हीं की देन है।

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