‘हमारी विभूतियाँ ‘में आप मिलेंगे महान समाज सेविका ,राजनेता एवं एक बेहतरीन इंसान स्व मृणाल गोरे जी से :
स्व मृणाल गोरे का नाम देश की जानी-मानी समाजवादी नेत्रियों में शुमार है। वे 1977 में मुंबई उत्तर से संसद सदस्य चुनीं गईं। वे सभासद, विधायक और सांसद के तौर पर लगातार गरीबों के लिए संघर्ष करती रहीं। मुंबई में पानीवाली बाई के रूप में चर्चित थीं। मृणाल महान महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक थीं और जीवन पर्यंत गरीबों और समाज के वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष करती रहीं।
मृणाल गोरे का जन्म 24 जून 1928 को मुंबई में एक कायस्थ परिवार में हुआ। एक मेडिकल छात्रा थी। अपनी स्कूली शिक्षा के अंत में वह राष्ट्र सेवा दल - सोशलिस्ट पार्टी की सांस्कृतिक और सामाजिक शाखा के संपर्क में आईं। उनकी प्रेरणा साने गुरुजी थे और यह आरएसडी ही था जिसने उन्हें केशव गोर जैसे गतिशील नेताओं के संपर्क में लाया, जो एक मराठी समाज सेवक थे , स्वतंत्रता से पहले के दिनों में युवा रंगरूटों को सलाह दी थी। उन्होंने और केशव गोर ने शादी की और उनकी एक बेटी थी।
महाराष्ट्र में समाजवादी आंदोलन की आखिरी स्तंभ मानी जाने वाली मृणाल ने स्थानीय प्रशासन के साथ लड़ाई लड़कर झुग्गी बस्तियों को पानी का कनेक्शन दिलवाया था। इसके बाद से लोग उन्हें पानीवाली बाई के नाम से पुकारने लगे वे 1961 में पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव लड़ी और जीत हासिल की। 1964 में पानी के लिए हुए संघर्ष में 11 लोगों की मौत होने के बाद उन्होंने झुग्गी बस्तियों में पानी की आपूर्ति के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। वे 1972 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर बड़े अंतर से चुनाव जीतकर विधायक चुनीं गईं।
उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उनके परिवार में उनकी बेटी अंजलि वर्तक थीं। मृणाल गोरे को 21 दिसंबर, 1975 को गिरफ्तार किया गया था और बॉम्बे सेंट्रल जेल में MISA के तहत हिरासत में लिया गया था। फिर उन्हें अन्य राजनीतिक बंदियों से पूरी तरह से अलग करने के लिए अकोला जेल ले जाया गया।
17 जुलाई 2012 को लगभग 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।