×
'हमारी विभूतियाँ ' स्तम्भ में आप मिलेंगे अध्यात्म के क्षेत्र से एक ऐसे दिव्य व्यक्तित्व से ,जिनके ज्ञान प्रकाश से विश्व सहस्त्राब्दियों तक आलोकित होता रहेगा ,कायस्थ  कुल गौरव महर्षि महेश योगी जी

'हमारी विभूतियाँ ' स्तम्भ में आप मिलेंगे अध्यात्म के क्षेत्र से एक ऐसे दिव्य व्यक्तित्व से ,जिनके ज्ञान प्रकाश से विश्व सहस्त्राब्दियों तक आलोकित होता रहेगा ,कायस्थ  कुल गौरव महर्षि महेश योगी जी ;


महर्षि महेश योगी (जन्म 12 जनवरी 1918 -निधन 5 फरवरी 2008 ) का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की।

हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उनने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे। महर्षि महेश योगी ने वेदों में निहित ज्ञान पर अनेक पुस्तकों की रचना की। महेश योगी अपनी शिक्षाओं एवं अपने उपदेश के प्रसार के लिये आधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हैं। उन्होने महर्षि मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित किया जिसके माध्यम से 'आनलाइन' शिक्षा दी जाती है।


महर्षि योगी के दर्शन का मूल आधार था, ' जीवन परमआनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है।'  महर्षि योगी ने एक मुद्रा की स्थापना भी की थी। महर्षि महेश योगी की मुद्रा राम को नीदरलैंड में क़ानूनी मान्यता प्राप्त है।

Related Post

Related Posts