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'हमारी विभूतियाँ’ स्तम्भ में आज हम मिलेंगे ,भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक से ,जिसने मुग़लों  को न केवल पराजित किया ,बल्कि इस जीत को जीवन पर्यंत क़ायम रखा,साम्राज्य का विस्तार बंगाल जिसमें आज का बांग्लादेश भी शामिल है के साथ साथ पटना तक करने में सफल रहे .इस अद्भुत,अद्वितीय एवं पराक्रमी कायस्थ महानायक को शत शत  प्रणाम.

'हमारी विभूतियाँ’ स्तम्भ में आज हम मिलेंगे ,भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक से ,जिसने मुग़लों  को न केवल पराजित किया ,बल्कि इस जीत को जीवन पर्यंत क़ायम रखा,साम्राज्य का विस्तार बंगाल जिसमें आज का बांग्लादेश भी शामिल है के साथ साथ पटना तक करने में सफल रहे .इस अद्भुत,अद्वितीय एवं पराक्रमी कायस्थ महानायक को शत शत  प्रणाम.


कायस्थ राजवंश के वीर शिरोमणि महाराज प्रतापादित्य (1599-1611 AD) जेसोर के हिंदू राजा थे और बंगाल के बरो-भुयान में सबसे प्रमुख थे, जिन्होंने मुगलों से स्वतंत्रता की घोषणा की और बंगाल में एक स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना की। अपने चरम पर उनके राज्य में पश्चिम बंगाल में नदिया, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिले शामिल थे, साथ ही उत्तर में कुश्तिया जिले से आधुनिक बांग्लादेश तक, पूर्व में बारिसल और सुंदरबन और बंगाल की खाड़ी से दक्षिण तक फैले हुए थे। जैशोर(राजधानी), कलकत्ता, पटना, राजमहल और संद्विप सहित कई क्षेत्रों में इनका शासन था। महाराज प्रतापादित्य मुगल साम्राज्य के काल कहे जाते हैं। इन्हें बंगभूमि का रक्षक भी कहा जाता है।


मातृभूमि के लिए प्रतापादित्य के प्रेम, विदेशी आक्रांताओ की ग़ुलामी के विरुद्ध  स्वतंत्रता की उग्र भावना और मुगल साम्राज्यवादियों के खिलाफ महाकाव्य लड़ाई ने उन्हें बंगाल में हिंदुओं के लिए सबसे प्रसिद्ध महान नायक बना दिया। इन्होंने कगारघाट का युद्ध, सालका का युद्ध जैसे कई युद्ध लड़े और अपने शासनकाल के दौरान मुगलों को बंगाल की भूमि मे घुसने नही दिया। उनकी बहादुरी और वीरता कई गाथागीतों का विषय बन गई, बंगाल के महानतम मध्ययुगीन कवि भरत चंद्र की महान कृति अन्नादमंगल से बढ़कर कोई नहीं। 

बांग्लादेश का जैशोरेश्वरी मंदिर, यह मंदिर बांग्लादेश के सतखीड़ा में स्थित है जो कि 51शक्तिपीठों में से एक है है यहाँ माँ की हथेलिया गिरी थी यहाँ माता जी का 400 साल पुराना मंदिर है जिसका निर्माण जैशोर के राजा,जमींदार एवं योद्धा कायस्थ राजवंश के वीर शिरोमणि प्रतापी राजा प्रतापादित्य राय ने किया। 

प्रतापादित्य रॉय को हिंदू राष्ट्रवाद के कई आख्यानों में एक राष्ट्रीय नायक के रूप में मान्यता दी गई है, जहां उन्हें शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह के साथ उनके अमर कार्यों के लिए रखा गया है

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